"वो पहली बारिश" – एक अनकही चाहत की कहानी
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☔ कहानी की शुरुआत:
बारिश की पहली फुहारें उस शाम कुछ अलग ही अहसास लेकर आईं।
रिया खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में कॉफी का कप और आंखों में कुछ यादें...
उसी वक्त, दरवाज़े पर दस्तक हुई।
अर्जुन वापस लौटा था — दो साल बाद।
"तुम बदले नहीं हो," रिया ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
"तुम भी नहीं... बस थोड़ी और ख़ूबसूरत हो गई हो," अर्जुन ने नज़रों ही नज़रों में कहा।
दोनों के बीच सन्नाटा था, लेकिन उस सन्नाटे में भी एक मीठा सा संगीत था — अधूरी मुलाक़ातों का, और छुपी हुई चाहतों का।
🔥 वो शाम:
जैसे ही बारिश तेज़ हुई, बिजली गुल हो गई।
कमरे की रौशनी बस कैंडल से थी, और दिलों की धड़कनों से।
अर्जुन ने रिया का हाथ पकड़ा, बिना कुछ कहे।
रिया की नज़रें झुकी, लेकिन हाथ नहीं छुड़ाया।
"क्या तुम अब भी मुझसे..." अर्जुन ने सवाल अधूरा छोड़ दिया।
रिया ने धीरे से कहा:
"कुछ सवालों के जवाब आंखें देती हैं, शब्द नहीं..."
उनके बीच का फासला मिट चुका था।
💓 अहसास जो लफ्ज़ों से परे था:
ना कोई वादा था, ना ही कोई ज़रूरत...
बस उस एक पल में, दोनों ने एक-दूसरे को वैसे महसूस किया, जैसे कोई किताब बिना पढ़े समझ में आ जाए।
बारिश की वो रात, दो दिलों को एक करने आई थी — बिना किसी शोर के।
🔚 अंत:
सुबह की पहली किरण ने उन्हें अलग किया, लेकिन दिलों में जो जुड़ाव था, वो अब हमेशा के लिए था।
"फिर मिलोगे?" अर्जुन ने पूछा।
रिया ने मुस्कुराकर कहा,
"मैं कभी दूर गई ही कब थी..."
📌 निष्कर्ष:
"वो पहली बारिश" सिर्फ़ एक रात की कहानी नहीं थी, वो एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल तस्वीर थी।
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